Raushan

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मिलती हो तपाक से

हर शख्स से  बे नियाज़ हो जा
 फिर सब से यह कह कि मैं खुदा हूं

 सब मेरे बगैर मुतमइन है 
मैं सब के बगैर जी रहा हूं

 क्या है जो बदल गई है दुनिया
 मैं भी तो बहुत बदल गया हूं 

गो अपने हजार नाम रख लूं
 पर अपने सिवा मैं और क्या हूं
 
जो गुजारी ना जा सकी हमसे 
हमने वह जिंदगी गुजारी है 

जख्म हा जख्म हूं और कोई नहीं खून का निशा
 कौन है वह जो मेरे खून में तर है मुझ में

 इलाज यह है कि मजबूर कर दिया जाऊं 
वरना यूं तो किसी की नहीं सुनी मैंने

 मैं भी बहुत अजीब हूं इतना अजीब हूं कि बस
 खुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं 

क्या सितम है कि अब तेरी सूरत 
गौर करने पर याद आती है

 मिल रही हो बड़े तपाक के साथ
 मुझको ही यकसर बुला चुकी हो क्या।



जॉन एलिया साहब

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4 Comments

Niraj Pandey

19-Oct-2021 12:22 AM

वाह जॉन साहब😍😍

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वाह 👌👌

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Swati chourasia

18-Oct-2021 07:48 PM

Very nice 👌

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